विदेशी धरती पर बहादुरी का परचम फहरा अजय ने कायम की वीरता की मिसाल-कुंवर विक्की

नम आंखों से किया कीर्ति चक्र विजेता की शहादत को नमन

कानवां 7 जुलाई (मनन सैनी)। अफगानिस्तान स्थित भारतीय दूतावास पर हुए फिदायीन हमले को नाकाम कर शहादत का जाम पीने वाले आई.पी.बी.पी की 9 बटालियन के कीर्ति चक्र विजेता हवलदार अजय पठानिया का 13वां श्रद्धांजलि समारोह शहीद की याद में बने सरकारी हाई स्मार्ट स्कूल कानवां में प्रिंसिपल मनीषा की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। जिसमें शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर सिंह विक्की बतौर मुख्य मेहमान शामिल हुए। इनके अलावा शहीद की पत्नी पूनम पठानिया, बेटा अनिकेत पठानिया, बेटी रिदिमा पठानिया, भाभी शोभा पठानिया, भतीजा नितीश पठानिया, लैंड मार्गेज बैंक के डायरेक्टर ठाकुर राज कुमार राजू, शहीद हवलदार अजय पठानिया यूथ क्लब के प्रधान ठाकुर बलवान सिंह, सूबेदार शक्ती पठानिया, जीओजी टीम की ओर से कैप्टन जोगिंद्र सिंह आदि ने विशेष तौर पर शामिल होकर शहीद को श्रद्धासुमन अर्पित किए। सर्वप्रथम मुख्यातिथी व अन्य मेहमानों ने शहीद के चित्र के समक्ष ज्योती प्रज्जवलित कर व शहीदी स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित कर कार्यक्रम का आगाज किया।

श्रद्धांजलि  समारोह को संबोधित करते हुए कुंवर रविंदर विक्की ने कहा कि 13 वर्ष पहले अफगानिस्तान स्थित भारतीय दूतावास पर हुए आतंकी हमले को नाकाम कर वहां मौजूद सैंकड़ों कर्मचारियों के प्राणों को बचाते हुए शहादत का जाम पीने वाले हवलदार अजय पठानिया ने विदेशी धरती पर बहादुरी का परचम फहराते हुए जिस अदम्य साहस का परिचय दिया, उसकी मिसाल विश्व में अन्य कहीं नहीं मिलती। उनकी इस शूरवीरता के समक्ष समुचा राष्ट्र नतमस्तक है। उन्होंने कहा कि वतन पर कुर्बान होने का गौरव किस्मत वालों को मिलता है तथा जिस सैनिक के हिस्से में यह मुकाम आता है, उसका सेना में भर्ती होने का सपना साकार हो जाता है। उन्होंने कहा कि 13 वर्ष पहले हवलदार अजय पठानिया ने अपना बलिदान देकर देशभक्ति की जो मशाल प्रज्जवलित की क्षेत्र के युवाओं ने उसे बुझने नहीं दिया बल्कि सेना में भर्ती होकर वह आज भी अजय पठानिया को अपना रोल माडल मानते हुए अपने अंदर वतन पर कुर्बान होने का जज्बा पाले हुए हैं। उन्होंने कहा कि जो राष्ट्र अपने शहीदों के बलिदानोंं को स्मरण नहीं रखते उनका असिस्त्व शीघ्र समाप्त हो जाता है।

शहीद की बेटी बोली- गर्व है पापा की शहादत पर
शहीद हवलदार अजय पठानिया की बेटी रिदिमा पठानिया ने कहा कि जब उनके पापा शहीद हुए वह मात्र डेढ़ महीने की थी और उसने अपने पापा को देखा भी नहीं, उसका दुख उसे जीवन भर रहेगा मगर इस बात का मान भी है कि आज लोग मुझे एक शहीद की बेटी के नाम से जानते हैं और मुझे अपने पापा की शहादत पर हमेशा गर्व रहेगा। प्रिंसिपल मनीषा ने आये मेहमानों का धन्यवाद करते हुए कहा कि मुझे इस बात का फख्र है की जिस स्कूल में वो सेवायें दे रहीं हैं वो स्कूल एक शहीद को समर्पित है। इस अवसर पर मुख्यतिथी कुंवर रविन्द्र विक्की ने शहीद परिवार को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। इस मौके पर मास्टर राकेश कुमार,रोहित कुमार, सुखवंत सिंह व दलीप सिंह, मैडम निधि, मन्प्रीत, रंजीत व किरण, सूबेदार मेजर यशपाल सिंह, नरेश सिंह बलविंदर सिंह सूबेदार बलबीर सिंह रघुवीर सिंह विजय कुमार, प्रवीण कुमार, इन्द्र शर्मा, सूबेदार मेजर बलविंदर सिंह, सूबेदार देस राज, सूबेदार मेजर सत्यपालआदि उपस्थित थे।

Exit mobile version