सिखों की सुरक्षा संबंधी श्री अकाल तख़्त साहिब के जत्थेदार द्वारा टिप्पणी चिंताजनक-कैप्टन अमरिन्दर सिंह

Captain amrinder

Newly-elected Amritsar MP Capt Amarinder Singh in Sector 10 of Chandigarh on Monday, May 26 2014. Express photo by Sumit Malhotra

अकाली दल को केंद्र में सत्ताधारी गठजोड़ से नाता तोडऩे के लिए कहा

चंडीगढ़, 7 जनवरी: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने मंगलवार को श्री अकाल तख़्त साहिब के जत्थेदार द्वारा भारत में सिखों के महफूज़ न होने संबंधी की गई टिप्पणी पर गहरी चिंता ज़ाहिर करते हुए जत्थेदार साहिब से अपील की कि उनकी तरफ से अकालियों पर केंद्र के सत्ताधारी गठजोड़ के साथ अपने सभी नाते तोडऩे के लिए दबाव डाला जाये क्योंकि मुल्क में अल्पसंख्यकों के बीच सुरक्षा की भावना को यकीनी बनाने में केंद्र सरकार नाकाम रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि चाहे वह ख़ुद श्री अकाल तख़्त साहिब के जत्थेदार साहिब के इस कथन से सहमत नहीं हैं कि भारत में सिख सुरक्षित नहीं हैं परन्तु यदि वह इस बात को महसूस करते हैं तो उनको यह मामला शिरोमणि अकाली दल के पास उठाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि जत्थेदार साहिब अकालियों को केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार से गठजोड़ का सम्बन्ध तोडऩे के लिए कहें।

कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि पाकिस्तान के उलट भारत को हमेशा ही एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र होने का गर्व रहा है और यहाँ धार्मिक आधार पर कोई भेदभाव नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि सिखों के मन में यह भावना पाई जा रही है कि वह यहाँ सुरक्षित नहीं हैं तो यह बहुत गंभीर मामला है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि यदि इस मुल्क में सिख अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं जैसे कि श्री अकाल तख़्त साहिब के कार्यकारी जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा है, तो इसके लिए केंद्र सरकार जि़म्मेदार है जिसको कटघरे में खड़ा किया जा सकता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अकाली अपने आप को सिख धर्म और भाईचारे के हितों के रखवाले होने का दावा करते हैं तो इनको इस मसले पर स्टैंड लेना चाहिए और अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल को अपनी पत्नी हरसिमरत कौर बादल को तुरंत केंद्रीय मंत्री के तौर पर इस्तीफ़ा देने के लिए कहना चाहिए।कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि इधर-उधर घटती कुछ घटनाओं से चाहे यह अर्थ नहीं निकाला जा सकता कि भारत में सिख सुरक्षित नहीं हैं परन्तु धारणा का महत्व भी हकीकत जितना ही महत्वपूर्ण होता है।

उन्होंने कहा कि 1980 के दशक में सिख बहुत काले दौर में से गुजऱे हैं और इस तरह का कोई भी एहसास उनमें फिर डर की भावना पैदा करेगा जो भाईचारे के हितों के साथ-साथ मुल्क के लिए घातक सिद्ध होगा।कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि सिखों के बहुसंख्यक वाले राज्य के मुख्यमंत्री होने के नाते उन्होंने हमेशा इस बात को यकीनी बनाया है कि न सिफऱ् पंजाब में बल्कि अन्य राज्यों में भी भाईचारे के हितों की रक्षा की जाये। उन्होंने जहाँ कहीं भी सिखों को कोई दुख-तकलीफ़ पहुँची तो उन मामलों में दिए निजी दख़ल को भी याद किया।

नागरिकता संशोधन एक्ट के मुद्दे पर शिरोमणि अकाली दल की पाखंडबाज़ी का जि़क्र करते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने अकालियों को कहा कि वह ऐसे मामलों पर दोहरे खेल खेलने की बजाय भारत में अल्पसंख्यकों से सम्बन्धित मामलों पर स्पष्ट स्टैंड लें। उन्होंने कहा कि अब वह समय आ गया है कि उनको यह एहसास हुआ है कि वह केंद्र में गठजोड़ का हिस्सा बने रहना जारी नहीं रख सकते क्योंकि केंद्र सरकार मुल्क में अल्पसंख्यकों की रक्षा करने में नाकाम रही है परन्तु फिर भी इन अल्पसंख्यकों के रक्षक होने का दावा करते हैं।

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