कारगिल की बर्फीली चोटियों पर तिरंगा फहरा सूबेदार निर्मल सिंह ने निभाया सैन्य धर्म-रमन बहल

नम आंखों में किया वीर चक्र विजेता की शहादत को नमन

गुरदासपुर 6 जुलाई (मनन सैनी) । कारगिल युद्ध में शहादत का जाम पीने वाले भारतीय सेना की आठ सिख युनिट के वीर चक्र विजेता सूबेदार निर्मल सिंह का 22वां श्रद्धांजलि समारोह पुराना शाला स्थित शहीद की याद में बने पेट्रोल पंप पर  शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर सिंह विक्की की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। जिसमें एसएसएस बोर्ड पंजाब के चेयरमैन रमन बहल बतौर मुख्य मेहमान शामिल हुए। इनके अलावा शहीद की पत्नी मनजीत कौर, बेटे हरजीत सिंह व मलकीत सिंह, डीएसपी महेश सैनी आदि ने विशेष मेहमान के तौर पर शामिल होकर शहीद को श्रद्धांसुमन अर्पित किए। सर्वप्रथम श्री सुखमणि साहिब का भोग डालते हुए रागी जत्थे द्वारा वैरागमयी कीर्तन कर शहीद को नमन किया गया।

समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यातिथि रमन बहल ने कहा कि जब भी देश की सुरक्षा को खतरा पैदा हुआ है तो हमारे जांबाज सैनिकों ने अपने शौर्य का प्रदर्शन करते हुए दुश्मन को धूल चटाकर राष्ट्र की एकता व अखंडता को बरकरार रखा है। ऐसी ही वीरता व अदम्य साहस का परिचय 22 वर्ष पहले पाकिस्तान द्वारा भारत पर थोपे गए कारगिल युद्ध में अद्भुत वीरता का परिचय देने वाले सूबेदार निर्मल सिंह ने दुश्मन के कई सैनिकों को मौत की नींद सुलाते हुए बर्फीली चोटियों पर तिरंगा फहरा खुद शहादत का जाम पीकर अपना सैन्य धर्म निभाया था। ऐसे रणबांकुरों की शहादत का मोल कभी भी नहीं चुकाया जा सकता। उन्होंने कहा कि एक सैनिक कभी भी रोटी कमाने के सपना लेकर सेना में भर्ती नहीं होता, बल्कि परिवारिक संस्कार व देशभक्ति का जज्बा उन्हें इस काम के लिए प्रेरित करता है। इस लिए समाज के प्रत्येक वर्ग का यह फर्ज बनता है कि शहीदों की सोच पर पहरा देते हुए एक आदर्श समाज की सृजना में अपना योगदान देकर उनके सपनों का साकार करें।

बहादुरी, त्याग व बलिदान का दूसरा नाम है सूबेदार निर्मल सिंह-कुंवर विक्की

परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर सिंह विक्की ने कहा कि बहादुरी, त्याग व बलिदान का दूसरा नाम है सूबेदार निर्मल सिंह, जिन्होंने अपने अदम्य साहस व वीरता के दम पर राष्ट्रपति से मरणोपरांत वीरचक्र जैसा वीरता पदक हासिल कर जिले के प्रथम सैनिक होने का गौरव हासिल किया है। उन्होंने कहा कि कारगिल युद्ध भारतीय सेना के अद्भुत शौर्य को दर्शाता है, जिन कठिन परिस्थितियों में भारतीय सेना ने यह युद्ध लड़ा, उसकी मिसाल विश्व में अन्य कहीं नहीं मिलती। इस मौके पर मुख्यातिथि द्वारा शहीद के परिजनों सहित दस अन्य शहीद परिवारों को शाल भेंट कर सम्मानित किया। इस मौके पर सरपंच सुच्चा सिंह मुलतानी, शहीद सिपाही ज्ञान सिंह सलारिया शौर्यचक्र के भाई गगन सिंह, शहीद सिपाही जतिंदर कुमार व पिता राजेश कुमार, शहीद सिपाही नरेश सलारिया के भाई दीपक सलारिया, शहीद लांसनायक संदीप सिंह शौर्य चक्र के पिता जगदेव सिंह, कुलबीर सिंह, मनिंदर सिंह, एडवोकेट गुरमुख निहाल सिंह, शिवांक महाजन, दलजीत सिंह, परमप्रीत सिंह आदि उपस्थित थे।

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