हरसिमरत बादल द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अनाज की खरीद पर आश्वासन देने से इंकार करने पर केंद्र की निंदा

Harsimrat-Badal

कहा कि प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री के रूप में किसानों के हितों की रक्षा का समर्थन किया था, पूछा अब क्या बदल गया है

कहा कि पंजाबियों ने ही आजादी के लिए सबसे ज्यादा बलिदान दिए, कहा कि खुफिया विभाग की विफलता के कारण हुई 26 जनवरी को घटित हिंसा की जांच की जानी चाहिए

चंडीगढ़/10फरवरी: पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने आज कहा है कि न केवल केंद्र सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर अनाज की खरीद पर आश्वासन देने से इंकार कर रह है बल्कि वह भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के अनैतिकरण की तरफ बढ़ रही है।

हरसिमरत कौर बादल ने कल संसद में राष्ट्रपति अभिभाषण में अपने भाषण में कहा था कि इससे पहले श्री नरेंद्र मोदी2011 में मुख्यमंत्रियों कीी कार्यसमिति के अध्यक्ष में रूप में सिफारिश की थी कि किसान -व्यापारी लेन देने को न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे के लेन देन को समाप्त कर किसानों की हितों की रक्षा की जानी चाहिए। यह ठीक है कि देश भर के किसान यही मांग कर रहे हैं , मैं यह नही समझ पा रही हूं कि क्या बदल गया है? उन्होने कहा कि सरकार मांग को पूरा क्यों नही कर रही है तथा साथ ही खेती कानूनों को रदद क्यो नही कर रही है तथा किसानों , नौजवानों तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामले क्यों दर्ज किए जा रहे हैं।

सरदारनी बादल ने 26 जनवरी को हुई हिंसा के बारे में बोलते हुए कहा कि आजादी आंदोलन के दौरान 70 फीसदी बलिदान देने वाले समुदाय के बारे में कहा जा रहा है कि उन्होने राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया। उन्होने कहा कि यह अजीब बात है कि खुफिया विभाग की असफलता की कोई जांच नही हुई जिसके कारण हिंसक घटनाएं हुई। ‘ यह स्पष्ट है कि केंद्र को 25 जनवरी को पहले ही पता था कि लोगों का एक वर्ग लाल किले तक परेड करने की तैयारी कर रहा था लेकिन मार्ग को बंद करने का कोई प्रयास नही किया गया। उन्होने कहा कि इसी तरह ‘ केसरी निशान’ को अपमानित किया जा रहा है। सरदारनी बादल ने कहा ‘ मैं आपको याद दिलाना चाहती हूं कि यह वही केसरी निशान ह जिसे प्रधानमंत्री ने अपने सिर पर सजाया है।

पूर्व मंत्री ने किसानों के प्रति अंहकारी रवैया अपनाने के लिए केंद्र सरकार की निंदा की। उन्होने कहा कि किसानों को बिचैलिया, नक्सली तथा खालिस्तानी कहा गया। ‘ यह भी कहा गया कि वे दिल्ली की सीमाओं पर ए के -47 असाॅल्ट राईफलों के साथ बैठे हैं। एके-47 राइफलों के साथ कौन खेती करता है? उन्होने कहा कि केदं्र सरकार शातिपूर्वक आंदोलन कर रहे किसानों के प्रति कठोर रवैया अपना रही है। उन्होने कहा कि एक भी मंत्री की इतनी कड़कड़ाती ठंड में उनका हाल पूछने के लिए नही गया।

सरदारनी बादल ने इस बात भी प्रकाश डाला कि कैसे उन्होने केंद्रीय मंत्रिमंडल से अनुरोध किया था कि जब तीन खेती अध्यादेशों को नोटिफाई किया गया तो उसे किसानों की परेशानियों दूर किया जाना चाहिए। उन्होने कहा कि बाद में मैने कृषि मंत्री को पत्र लिखकर किसानों की भावनाओं से अवगत करवाया था तथा यह भी सूचित किया था कि किसान उनके आश्वासनों से संतुष्ट नही हैं। मुझे आश्वासन दिया गया था कि संसद में मतदान के लिए विधेयकों को पास करने से पहले उनकी शंकाओं को दूर करना चाहिए, लेकिन सरकार ने संसद के माध्यम से विधेयकों को धक्केशाही से पारित करने का फैसला लिया तो शिरोमणी अकाली दल ने अन्नदाता के साथ एकजुट खड़े रहने का फैसला लिया तथा केंद्रीय मंत्रिमंडल के साथ साथ एनडीए गठबंधन को भी छोड़ दिया।

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