किसान ने लिखा- मुझसे दुख देखा नहीं जाता, मैं अपने प्राणों की कुर्बानी देता हूं… खा लिया जहर

तरनतारन के खडूर साहिब के गांव भट्ठल भाईके निवासी 77 वर्षीय बुजुर्ग किसान निरंजन सिंह ने सोमवार को सोनीपत के कुंडली बार्डर पर चल रहे धरने के दौरान जहरीला पदार्थ निगल लिया। जहर निगलने से पहले किसान ने श्री जपुजी साहिब जी का पाठ सुना। किसान को पीजीआई चंडीगढ़ में दाखिल कराया गया है।  

गांव भट्ठल भाईके सरपंच बलबीर सिंह ने बताया कि निवासी किसान निरंजन सिंह के पास 12 एकड़ जमीन है। निरंजन सिंह के पांच बेटे पूर्व सरपंच गुरमीत सिंह, झिरमिल सिंह, निर्मल सिंह, हरजीत सिंह व काला सिंह हैं। परिवार के सिर पर कोई भी सरकारी कर्ज नहीं है। सरपंच ने बताया कि 26 नवंबर को निरंजन सिंह जत्था लेकर दिल्ली धरने पर गए थे। 

शनिवार को जत्थे समेत लौट आए। रविवार को किसान निरंजन सिंह, पंच दिलबाग सिंह के अलावा मुखत्यार सिंह के साथ कार में सवार होकर दोबारा दिल्ली धरने के लिए गए थे। रविवार की रात करनाल में गुजारी। सोमवार सुबह छह बजे दिल्ली के कुंडली बार्डर पर चल रहे धरने में पहुंच गए। सुबह आठ बजे श्री जपुजी साहिब जी का पाठ हुआ। इसके बाद किसानों को भूख हड़ताल पर बैठना था।

सरपंच ने बताया बुजुर्ग किसान निरंजन सिंह ने बाकी किसानों के साथ श्री जपुजी साहिब जी का पाठ श्रवण किया। इसके बाद निरंजन सिंह पंडाल के पीछे चले गए जहरीला पदार्थ निकालकर निगल लिया। मौके पर कुछ निहंग सिंह मौजूद थे। उन्हें निरंजन सिंह ने बताया कि नवीं पातशाही श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी ने जुल्म के खिलाफ आवाज उठाते कुर्बानी दी थी। करीब चार माह से किसान, बुजुर्ग, बच्चे रेल की पटरियों और सड़कों पर परेशान हो रहे हैं लेकिन उनकी सुध नहीं ली जा रही। मुझसे दुख देखा नहीं जाता। मैं अपने प्राणों की कुर्बानी दे रहा हूं।

जहर निगलने से पहले लिखा था पत्र
गांव भट्ठल भाईके सरपंच बलबीर सिंह ने बताया कि बुजुर्ग किसान निरंजन सिंह ने जहर निगलने से पहले एक पत्र लिखा है। गुरबाणी की पंक्तियों से पत्र शुरू करते एक शेर भी लिखा। इसके बाद बाद किसानों के चल रहे संघर्ष से दुखी होने और सरकार की नीति के खिलाफ कुर्बानी देनी की बात कही। पत्र ने किसान निरंजन सिंह ने नवें गुरु श्री गुरु तेग बहादुर जी की कुर्बानी का भी जिक्र किया है।

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