विशेष अधिवेशन को लेकर स्पीकर को मिला ‘आप’ का वफद

संदग्धि है अमरिन्दर सरकार की ओर से अंत तक एजेंडा छुपाए रखना -हरपाल सिंह चीमा

मीडिया पर ऐलानी सैंसरशिप थोपने का लगाया आरोप 

चंडीगड़, 18 अक्तूबर। केंद्र सरकार की ओर से तानाशाही तरीके से थोपे गए खेती सम्बन्धित काले कानूनों के विरुद्ध बुलाऐ गए एक दिवसीय विशेष अधिवेशन को लेकर नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी का वफद स्पीकर राणा के.पी सिंह को मिला और मांग पत्र दिया। प्रतिनिधिमंडल में प्रिंसीपल बद्ध राम, कुलतार सिंह संधवां, प्रो. बलजिन्दर कौर, सरबजीत कौर माणूंके, मीत हेयर, रुपिन्दर कौर रूबी, जै सिंह रोड़ी, मनजीत सिंह बिलासपुर, कुलवंत सिंह पंडोरी और मास्टर बलदेव सिंह (सभी विधायक) शामिल थे। 

स्पीकर के साथ मुलाकात उपरांत मीडिया को प्रतीकर्म देते हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि पंजाब और पंजाब की कृषि के साथ जुड़े इस अहम मुद्दे पर देर से उठाया गया दरुसत कदम है, परंतु मुद्दो की अहमीयत के मद्देनजर एक दिन का अधिवेशन अपर्याप्त और निराशाजनक फैसला है। इस लिए केंद्रीय खेती बिलों के बारे में इस विशेष अधिवेशन को एक दिन की बजाए कम से कम 7 दिन का किया जाए, क्योंकि संघर्षशील किसानों और कृषि पर निर्भर सभी वर्गों की भावनाओं को समझते हुए इस पेश संकट के सार्थिक हल के लिए हर पहलू पर गंभीर और विस्तारपूर्वक विचार-चर्चा करनी चाहिए। ऐसे हालात में एक दिवसीय अधिवेशन मात्र खानापूर्ति है।

हरपाल सिंह चीमा ने दोष लगाया कि इस विशेष अधिवेशन की मीडिया कवरेज के लिए इलैक्ट्रॉनिकस और प्रिंट मीडिया पर ऐलानी सैंसरशिप थोपी गई है। कोविड-19 की आड़ में मीडिया को विधान सभा परिसर और प्रैस गैलरी से ही तड़ीपार कर दिया गया है। यह फैसला प्रैस की आजादी पर सीधा हमला है। इसके इलावा सदन की समूची कार्यवाही की निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से लाइव कवरेज करवाई जाए जिससे संघर्षशील किसानों समेत समूचा पंजाब सदन की कार्यवाही को सीधा देख सके। 

 ‘आप’ नेताओं ने स्पीकर से रोष प्रकट किया कि विशेष अधिवेशन शुरू होने में चंद घंटे बचे हैं परंतु मुख्य विरोधी पक्ष होने के नाते पंजाब सरकार और विधान सभा सचिवालय ने अभी तक विशेष अधिवेशन के मुख्य एजंडे के बारे में जानकार नहीं करवाया। यह बहुत ही गैर-संजीदा और संदिग्ध रवैया है। इस से स्पष्ट है कि पंजाब सरकार काले कानूनों के विरुद्ध जो कदम उठाने जा रही है। उसे विरोधी दल और पंजाब के किसानों और लोगों से छुपाया जा रहा है। इस तरह की गैर-जिम्मेदारी हमारे उस संदेह को ओर पुख्ता करती है कि कांग्रेस सरकार सत्ता में बने रहने के लिए अपनी, कमजोरियों और मौकाप्रस्ती के कारण केंद्र की किसान विरोधी और पंजाब विरोधी मोदी सरकार के साथ फिक्स मैच खेल रही है। विरोधी दल और मीडिया का सामना करने से भाग रही है। वफद ने मांग की है कि विधि-विधान मुताबिक अधिवेशन शुरू होने से पहले निर्धारित समय में विधानिक एजेंडा विरोधी पक्ष के सदस्यों के पास न पहुंचाने वाले जिम्मेदार आधिकारियों और सम्बन्धित मंत्री पर कार्यवाही की जाए।    

हरपाल सिंह चीमा ने बताया कि माननीय स्पीकर ने उनकी मांगों को ध्यान से सुना और इन पर विचार करने का भरोसा दिया।

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