जिंद कुर्बान की तख्ती पकड़ कर किसान द्वारा आत्महत्या करना कैप्टन अमरिन्दर के माथे पर एक बहुत बड़ा कलंक- ‘आप’

Harpal Singh Cheema\

कैप्टन अमरिन्दर की सरकार द्वारा किए जा रहे लोक विरोधी फैसलों का विरोध करने के लिए लोग कर रहे हैं अपनी जानें कुर्बान-हरपाल सिंह चीमा

चण्डीगढ़, 1 जुलाई । आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब ने ‘श्री गुरु नानक देव ऐतिहासिक थर्मल प्लांट है शान, मैं इस नू वेचण तो रोकन लई करदा हां जिंद कुर्बान’ की तख्ती पकड़ कर किसान द्वारा आत्महत्या कर लेने को पंजाब के मुख्य मंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के माथे पर एक बहुत बड़ा कलंक करार दिया है। मृतक किसान थर्मल प्लांट बठिंडा को बंद करने के विरोध में बेहद तेज पड़ रही गर्मी में मरन व्रत पर बैठा था। 

पार्टी हैडक्वाटर से जारी प्रैस बयान के द्वारा ‘आप’ के सीनियर और नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि सुबह के समय जिला संगरूर की चीमा मंडी के एक किसान द्वारा बठिंडा के श्री गुरु नानक देव थर्मल प्लांट को बंद करने के विरोध में प्लांट के गेट के समक्ष आत्महत्या कर लेने से कैप्टन अमरिन्दर सिंह का किसान विरोधी चेहरा जनतक हो गया है। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने पंजाब की जनता के साथ 2017 के चुनाव समय वायदा किया था कि वह बठिंडा के थर्मल प्लांट को बंद नहीं होने देंगे, परंतु अफसोस चुनाव जीतने के बाद ही कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने थर्मल प्लांट को बंद करने की घातक नीतियां बनानीं शुरू कर दी थी। जिस का नतीजा ही है कि आज थर्मल प्लांट कैप्टन अमरिन्दर सिंह की घातक नीतियों की भेंट चढ़ गया। 

हरपाल सिंह चीमा ने कैप्टन अमरिन्दर सिंह की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते कहा कि आज हालात ऐसे पैदा हो गए हैं कि कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार द्वारा किए जा रहे लोक विरोधी फैसलों का विरोध करने के लिए लोगों को अपनी कीमती जानें कुर्बान करनी पड़ रही हैं। जिस की ताजा मिसाल आज थर्मल प्लांट के समक्ष एक किसान ने थर्मल प्लांट के बंद होने के विरोध में अपनी जान दे दी है। 

हरपाल सिंह चीमा ने बताया कि 2005-2014 के दरमियान बठिंडा थर्मल प्लांटों के ईकाइओं की अंतरराष्ट्रीय स्तर की अपग्रेडेशन के लिए 734 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। अरबों रुपए खर्च कर 2014 में जो आखिरी यूनिट अपग्रेड किया गया था, उसे 100 घंटे चलने से पहले ही बंद कर दिया गया, जबकि राष्ट्रीय बिजली अथॉरिटी मुताबिक बठिंडा थर्मल प्लांट की मियाद 2030-31 तक थी

हरपाल सिंह चीमा ने मांग करते हुए कहा कि सरकार ने यदि थर्मल प्लांट पक्के तौर पर बंद करने वाला दुर्भाग्यपूर्ण फैसला ले ही लिया है तो यह जमीनें उन किसानों को वापिस की जाएं, जिनसे 1969 में थर्मल प्लांट के निर्माण के लिए ली गई थी।

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